जयपुर न्यूज डेस्क: जयपुर की स्वच्छता रैंकिंग भले ही इस साल चमक गई हो, लेकिन शहर की सड़कों और गलियों में गंदगी की तस्वीरें अब भी वैसी ही हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में जयपुर नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज ने शानदार छलांग लगाकर देशभर में नाम कमाया, मगर सवाल उठ रहा है—क्या ये सुधार सिर्फ आंकड़ों तक ही सीमित था?
ग्रेटर को गार्बेज फ्री सिटी में 3-स्टार रेटिंग और वाटर प्लस सर्टिफिकेट मिला, हैरिटेज को 20वीं रैंक मिली, लेकिन जमीनी हालात अब भी जस के तस हैं। ओपन कचरा डिपो, बहता सीवरेज, बदबूदार नाले और अनियमित सफाई अब भी रोजमर्रा की हकीकत बने हुए हैं। जनता की नजर में ये सिर्फ कागजों पर चमकीली तस्वीरें हैं।
जानकार बताते हैं कि रैंकिंग में डिजिटल एविडेंस, ऐप रिपोर्टिंग और जागरूकता कार्यक्रमों का बड़ा रोल है, भले ही असल में सफाई न हो। यानी, सर्वे से पहले सफाई का दिखावा और बाद में फिर वही पुरानी ढर्रा। यही वजह है कि सेग्रीगेशन में नंबर पाने के बावजूद कचरा आज भी खुले में और बिना अलग किए फेंका जा रहा है।
जयपुर ने भले ही आंकड़ों की रेस में बाजी मार ली हो, लेकिन असली इम्तहान अब है — बिना सर्वे टीम की निगरानी के, क्या सफाई बनी रहेगी? ये तभी संभव होगा जब सफाई को इवेंट नहीं, आदत बनाया जाएगा, क्योंकि शहर रैंकिंग से नहीं, रोज की सफाई से चमकता है।